भगवान रुद्र, सदाशिव, महादेव, भोलेनाथ की पूजा-अर्चना हेतु विशेष रूप से वेदोक्त रुद्राभिषेक एवं रुद्री पाठ का समारोह बड़ा ही मनोरम होता है। अपने बच्चों के जन्मदिन पर उनकी दीर्घायु के लिये विशेषतः यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
प्राचीन काल से ही स्त्री और पुरुष दोनों के लिये यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्कार है। वेदाध्ययन के बाद जब युवक-युवती में सामाजिक परम्परा निर्वाह करने की क्षमता व परिपक्वता आ जाती है तो उसे गृर्हस्थ्य धर्म में प्रवेश कराया जाता है।