नींव / भूमि पूजन से जमीन को पवित्र किया जाता है एवं यदि उस पर पूर्व में कोई गलत काम हुआ हो तो नींव / भूमि पूजन से उस जमीन को फिर से पवित्र किया जाता है।
प्राचीन काल से ही स्त्री और पुरुष दोनों के लिये यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्कार है। वेदाध्ययन के बाद जब युवक-युवती में सामाजिक परम्परा निर्वाह करने की क्षमता व परिपक्वता आ जाती है तो उसे गृर्हस्थ्य धर्म में प्रवेश कराया जाता है।